मुक्त करो, जग की कारा से, माधव मेरे !
जनम जनम तक भटके, अटके, धोखे खाते !
रह जाते हर बार अधूरे ,फिर पछताते !
नैन मूंद बस ध्यायूं तुमको केशव मेरे !
पिता तुम्ही,माता मेरी,गुरु के गुरु मेरे !
करो अनुग्रह अब तो, कृपा मेघ बन जाओ !
एक करो अपने से मुझ को न तरसाओ !
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