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Friday, 30 November 2012

सृष्टि -लीला

 11 May 2012 at 21:14 ·
राधा मंजुल मधुमयी ,मधुसूदन घनश्याम ,
लीला करते सृष्टिमय,रचें दृश्य अविराम !

Thursday, 29 November 2012

  राधा का प्रासाद है निखिल विश्व मई सृष्टि,
उनकी करूणा  मात्र से मिलती  दिव्य दृष्टि !












देह राधा है ..हैं माधव आत्मा
सृष्टि उनकी हैं अनोखी कामना..

संत कृपा

प्रेम  प्रसादी संत की जीवन की   उपलब्धि ..
बरसे सब पर अनुग्रह व्यर्थ न जाए अवधि ....

Friday, 18 May 2012
मिटटी मैं हूँ ,स्व भी मैं हूँ ..
प्रकृति मैं .. पुरुष भी मैं हूँ ..
रहा अकेला युगों युगों तक,
उर ने चाहा खेल करूं कुछ ..
रच डाले ब्रहमांड अनेकों .
मानव, दानव, जल-चर, नभचर ..
खेलूं सब से जब तक चाहूँ .
नैन मूंद सब मुझ में पाऊँ ..
वृंदा मेरी आत्मा मन  वृन्दावन धाम ..नित्य रचाऊं रास  मैं जग से कैसा काम ?
16.11.12
न अछूता तार हैं तू ...न ही अश्रुधार ..
तार मेरा,स्वर तू मेरा अश्रु अपना प्यार ..
8.11.12





Photo: Greetings for the day Dear Fifi . Nameshkar and Pranam!!! Thank you for being in touch - I like all your quotes and pictures , have a great time :) always .Thank you for being my friend, with lots of love and best regards. ♥
श्याम  बिना  राधा  के  आधा....सारी  सृष्टि  उनका गाँव
जीवन  वे  हैं पालक वे  हैं .हम  तो  केवल  उनकी  छाँव
29.10.12
Friday, 7 September 2012
प्रकृति कहाँ तू परे श्याम से
श्वेत श्याम सब  तेरे अंग ..
मान ह्रदय हूँ तेरा, तुझ में
रास   रचा न ,  मेरे    संग ....

prarthna

 4 September 2012 at 16:44 ·
बांसुरी  हूँ कृष्ण की मुझ को चुरालो राधिके
मायामय के जाल से मुझको छुडा लो राधिके
मैं बहुत बाजी अधर पर कृष्ण काले चोर के
अब छुपालो स्नेह के पट में दुलारी राधिके ... !

i am the flute of lord krishn, steal me away,
save me from the trap of illusionist,radhike!
long have i echoed on the lips of this dark thief,
hide me in your lap now O my mother radhike!
Friday, 25 May 2012
ईश्वर  आनंद कंद  हैं प्रकृति गुणों की खान
उनकी करुना से मिले हरी भक्ति और ज्ञान !


Friday, 10 August 2012








कृष्ण की माधुरी  


रे कृष्ण  तेरी  माधुरी  ने  क्या  करम  किया
"तू" रहा, "मैं" रहा, सब ख़त्म कर दिया.
क्यूँ रो रहे थे आज तक, यह भी खबर नहीं
जब से मिले हो तुम ,  सफ़र मस्त कर दिया
हम थे भी या नहीं, यह भी खबर नहीं,    
जो ढूँढ़ता तुझे था उसे "तू"  ही कर दिया!
तेरा ख्याल एसा है जैसे लहर कोई...          
आई उड़ा  के ले गयी पानी का बुलबुला..
जो रेत पर पड़ा था ..बस अब मिटा,  मिटा.
.तेरी लहर ने बुलबुला - सागर ही कर दिया
अपनाया इस तरह की दीवाना कर दिया,
दुलराया इस कदर कि पागल ही कर दिया
पाया तुझे तो गल गया मेरा वजूद यूं..
..जैसे नमक का कारवाँ ,सागर में घुल गया ..
March 4, 2011


आओ कान्हा द्वार 
कान्हा ने जीवन दिया, दिया गृहस्थ संसार ,  
कैसे जाएँ वृन्दावन कृष्ण ही आयें द्वार ! ,
March 30, 2011

ईश्वर  आनंद कंद  हैं प्रकृति गुणों की खान
उनकी करुना से मिले हरी भक्ति और ज्ञान !
25 May 2012









अंतर्मन की दृष्टि से, सृष्टि मय  हैं आप ....
कैसे देखें लोक फिर आलोकित जब आप  .. , 11 May 2012




तुमने ही जीवन दिया तुमसे ही   यह  देह ..
प्रति क्षण तुमको समर्पित,सत्य तुम्हारा नेह. , 10 May 2012


जो मर सका मेरे लिए वह तो मुझे ही पा गया
मिट  गया अब बुलबुला सिन्धु में ही समां गया 9 May 2012



भूलोक में  देह रह रही,  गोलोकी हैं प्राण ..
श्वांस श्वांस में राधिके दें जो जग से त्राण! , 9 May 2012




राधा मेरा प्राण है राधा ही आधार,
राधा के कारण ही है माधव साकार !3.5.12

बंजर धरती उर की जब तक हरी आये
बरसे हरी की कृपा सरस उपवन लहरायें3.5.12
मैं गुरु शिष्य हूँ   एक नेह की रेख
करती हरी में ही रमण राह  उन्ही की  देख 3.5.12
विश्वरूपी   कृष्ण   हो   तुम विश्व के आधार
कर दिया सर्वस्व अर्पित अब करो स्वीकार. 3.5.12
वंशी की धुन बाजती प्रकृति के अनुरूप
कहलाओ चाहे कोई नदिया ,धरती ,धूप19.4.12

सतरंगी रे अपनी ओढ़नी ..कान्हा हैं रंगरेज ..
चमके हिये में म्हारे माधो रान्खू   उन्हें सहेज ..19.4.12
नारी नर दो बिम्ब हैं दोनों सृजन आधार
इश्वर के ही अंश हैं यह ही सत्य विचार 3.4.12

माला के मनके हम सारे ..सूत्र   हमारे   बनवारी
फूलों से हम सारे महकें..जग है प्रभु की फुलवारी. , 5 March 2012

तुम हो मैं कहीं ..वंशी के सब छिद्र ..
स्वर बाजें घनश्याम के कहलाये हम मित्र .. , 5 March 2012

आहुति हूँ यग्य ..की.. हर सांस सामिग्री का कण
विभु में समाहित हो रही शनैः  शनैः ..क्षण.. क्षण ! , 5 March 2012



मेरे भक्तों को सदा
जग देता विषपान
विष पीकर भी जो हँसे
उसको सच्चा ज्ञान !


कुटिल व्यूहों,व्यंगबानों  के लगें जब डंक, 
चेतना के विहग ने तब ही उगाये पंख . 20.5.11





योग  से  जन्मे  हैं  हम  है  योग  ही  में  ज्ञान ; 
योग  सच्ची  साधना  है  योग  ही  है  ध्यान --------------12.5.11

जिसके मात्र स्मरण से ही हर संताप बिसर जाता है
वह तो केवल एक कृष्ण हैं !
जिसकी स्वप्न झलक पाते ही
हर आकर्षण बिखर जाता है

जो सबके दुःख का साथी है
सबका पालक, जनक, संहर्ता
वह तो केवल एक कृष्ण हैं .
साक्षी सबके पाप पुण्य का ,
न्यायमूर्ति सृष्टि का भरता ,
वह अवतार प्रेम का मधु का ,
अनघ,शोक मोह का हरता
वह तो केवल एक कृष्ण हैं5-4-09

अनजान हूँ मैं साधना और साधन से, मुग्ध हूँ अभिभूत हूँ संतो के समागम से ! , 12 May 2011
प्राण से बढकर नहीं कुछ प्राण ही अविराम,

प्राण की पूजा करो करके प्राणायाम !12.5.11









मैं हूँ !
मत हो आहत, मत हो उदास !
तुम अंश मेरे मैं हूँ अंशी .
विस्मृत   कर पल  भर  को  जग   को ,
लो  सुनो  मधुर   मेरी  वंशी !13.2.11
मृत्युलोक में मृत्यु सुनिश्चित व्यक्ति ,वस्तु हो या सम्बन्ध .
आते हैं  सब लौट लौट कर पूरे करने ऋण -अनुबंध .7.3.11
यामिनी !
मैं शांत यामिनी हूँ ,तुम हो मयंक मेरे !
घनघोर कालिमा हूँ ,अविरक्त श्यामली हूँ !
!तुम ज्योति -पुंज मेरे !
तुम हो मयंक मेरे !1982-3

तुम मधु हो मैं मधुकर माधव,तुम सागर मैं एक लहर!
मुझ में तुम हो तुम में  मैं हूँ ,सपने सा है खेल मगर
हम दोनों तो एक सदा हैं,कोई आये कोई जाए .
जाने कितने चेहरे आय, कोई सताए  कोई लुभाए.
सारे झूठे !सारे छूटे! एक बस तू  ही साथ निभाये .
तुम मधु हो मैं मधुकर माधव तुम सागा मैं एक लहर
तुम सूरज मैं एक किरण हूँ तुम प्रकाश मैं तेज प्रखर
तेरा मेरा नाता एसा ज्यूँ हैं दिन में आठ प्रहर,
तुम मधु हो मैं मधुकर माधव,तुम सागर मैं एक लहर!------------





तुम दिव्य किरण हो मेरे सूने आँगन की
तुम चन्द्र किरण मेरे लहराते सागर की
  तुम मधुकण हो मेरे निर्गंध सुमन के
  तुम अमृत कण मेरे मेरी इस रीति गागर  के  -----------------------



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प्राण मेरे !

खोजती हूँ मैं  तुझे ही.आज भी मैं हूँ अपरिचित विश्व से इस!

तू कहाँ जा खो गया है दिव्य मेरे?

आज भी मैं तो तुझे ही खोजती हूँ प्राण मेरे !

ज्ञात मुझको भाव तेरा ,'मैं'' स्वयं अज्ञात हूँ .

सत्य है तू एक मेरा , मैं तो मिथ्या -गात हूँ--------------------------