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Monday, 18 March 2013

धुन

वंशी की धुन बाजती 
                प्रकृति के अनुरूप
कहलाओ चाहे कोई 
               नदिया ,धरती ,धूप19.4.12




बरबस खिंच जाते प्राण तुम्हारी दृष्टि से उन्मादित

 तन -मन विस्मृत अस्तित्व शेष बस हो जाता आह्लादित

मारुत से उड़ जाते उर में भर सुगंध सुमनों की ..!

कभी लहर  सा खेले जीवन गोदी में सागर की

 मृत्यु हो तुम या हो जीवन ,नहीं समझ में आया

कभी ह्रदय में बसे प्राण बन,कभी छीन ली काया!-----------------





योगेश्वर ने है दिया शोक निवारक योग .
सृष्टि के है मूल में आधेय- आधार .
प्रकृति के पीछे पुरुष. पुरुष -प्रकृति आधार
फल आधारित पुष्प पर, पल्लव पुष्प आधार .
पल्लव आश्रित शाख पर,तना शाख आधार.
मूल  आधार स्कंध की,बीज वृक्ष आधार .
बीज आधारित भूमि पर . भूमि परिक्रमा बाध्य .
करती पथ पर ही गमन ,सूर्य देव आराध्य .
ढूध-धवलता पृथक, अग्नि से ताप
जल -रस;प्रकृति -गंधमय,वायु सहित है भाप.
राधा -माधव एक हैं एक तत्व दो नाम .
शासक शासिता प्रेम बहे निष्काम .
आत्मा शाश्वत तत्व है ,रूप व्यक्त आधार.
नारी -नर दो बिम्ब हैं दोनों सृजन आधार .20.6.10






छिप छिप कर मिलते हो ,
 मिल कर छिप जाते हो,
एक झलक दिखला  कर
ओझल   हो   जाते   हो .. 
कब तक नाच नचाओगे  
रास बिहारी ? 
कुछ तो रहम करो उन पर
जो शरण तुम्हारी.

3.4.11




देह राधा, आत्मा कान्हा हुए , प्रेम के सैलाब में पागल हुए !
कौन जीवन ?कौन मृत्यु? भेद छूटे,वेश छूटे एकानंद हुए! ,


17 May 2011







मैं क्यूँ बोलूँ ?
कहाँ अब भ्रान्ति कोई?
निशब्द होता है अहसास ,
जगे जब आत्मा सोई !23.4.11
प्राण तुम हो ज्ञान हो तुम मृत्यु तुम विश्राम  भी  तुम
तुम ही तुम हो श्याम श्वेता कृष्ण तुम हो राम भी तुम
4 May 2012





मौन भाषा है ह्रदय की,
   मौन में.... विश्राम..
     मौन ही ...आनंद है
        मौन में .....हैं राम !

12 May 2011

मैं माधव! मैं कृष्ण मुरारी !मैं ही जीवन! मैं ही वारि ! 
मुझ से विलग नहीं कुछ भी, मैं तो हूँ आत्मा तुम्हारी ! , 17 May 2011